काश की मुझे मुहब्बत ना होती
काश की मुझे तेरी आरज़ू ना होती
जी लेते यू ही ज़िंदगी को हम तेरे बिन
काश की ये तड़प हमे ना होती!
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Aane Laga Hayaat Ko Anjam Ka Khayal,
Jab Aarjuyein Failkar Ik Daam Ban Gayin.
आने लगा हयात को अंजाम का ख्याल,
जब आरजुएं फैलकर इक दाम बन गयीं।
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लबों से छू लूँ जिस्म तेरा,
साँसों में साँस जगा जाऊँ,
तू कहे अगर इक बार मुझे,
मैं खुद ही तुझमें समा जाऊँ।
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सितारों की महफ़िल ने करके इशारा,
कहा अब तो सारा जहाँ है तुम्हारा,
मुहब्बत जवाँ हो, खुला आसमाँ हो,
करे कोई दिल आरजू और क्या…!
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हज़ारों ख्वाहिशें एसी कि,
हर ख्वाहिश पे दम निकले,
बहुत निकले मेरे अरमां,
लेकिन फिर भी कम निकले!
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